Shuklaji-1

अब ब्राह्मण बंधुओं को

महाराष्ट्र में अज्ञातवास

जैसा जीवन नहीं व्यतीत

करना पड़ेगा.

संस्थापक

श्री अनिल आर. शुक्ला

रजि. क्र.

F-0030847(THN)

स्थापना

२९-१२-२०१५

प्रेरणाश्रोत

श्री हरिशंकर मिश्रा

500

पंजीकृत सदस्य

2500

कुल सदस्य

120

कार्यक्रम

हम अपनी गरिमा खो चुके हैं। हम नाना प्रकार के अनैतिक कार्यों में लिप्त हैं। हमें इसका रत्ती भर अनुमान नहीं कि हमारे शास्त्र विरोधी आचरण और आधुनिकता की दौड़ में हमारी संतानें संस्कार विहीन होकर पशु प्रवित्ति में परिवर्तित होती जा रहीं हैं। हमें लोंगो में पुनः संस्कार व संस्कृति की ज्योति जलानी है।

ब्राह्मण जनजागरण संस्था के स्थापना की आवश्यकता तब आन पड़ी जब श्री अनिल शुक्ला ने देखा कि हमारे बीच हमारे ही भाई बन्धु अज्ञातवास में जीवन व्यतीत कर रहे हैं. असामाजिक तत्वों द्वारा सताए जा रहे हैं. आवश्यकता पड़ने पर उनकी सहायता कोई नहीं कर रहा है.

किसी व्यक्ति के ह्रदय में यदि सामाजिक सहयोग की भावना उत्पन्न होती है, तो वह व्यक्ति संभवतः आर्थिक अभाव में अपनी अंतरात्मा की नहीं सुन सकता. परन्तु अधिक संख्या में यदि थोड़ा - थोड़ा सहयोग दिया जाये तो कई बड़े सामाजिक एवं सांस्कृतिक कार्य संपन्न किये जा सकते हैं.

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